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Monday, 26 November 2018

ओ धान - लता प्रासर रचित कविता

ओ धान


आओ!
 सूंघ लेते धान की खुशबू
तर कर लेते स्वासों को इनसे
ओ धान, तेरे रूखेपन की चिकनाहट 
शनै: शनै:मुझे तेरे आगोश में बांधती है
तेरा सुनहरा रूप सभी गहनों से छलछल है
उस पर हरी पत्तियों ने मुझे हरा कर दिया
और मैं बाग-बाग हो रही

तुम्हारे छुटपन की हरियाली अबतक जिंदा है मुझमें
तुम्हे कूटे जाने की कल्पना मुझे भी सोंधी कर जाती
उसपर छाली भरी दही का साथ अमृतमय अहसास

ओ धान! 
पगडंडियों पर तुमसे मिलना
स्वर्गिक आनन्द से भर देता मुझे
मैं कैसे समझाऊं खुद को और अपने मन को
लोग-बाग तो पागल ही कहेंगे
कहने दो ना, तेरा सान्निध्य ही प्रेम है मुझमें
ओ धान, तेरे लिए कैसे शब्द गढ़ूं नि:शब्द हूं मैं
तूने संगीत के लिए झिंगुर को पनाह दिया
परागन के लिए तितलियों को
औन न जाने कितने साथी हैं तुम्हारे

मुझे ईर्ष्या होती है इन सबसे सच कहती हूं
तुम्हे काटकर पातन फिर आटी
और पुंज बना मंदिर का रूप दिया जायेगा
तब झन झन झनाक पीटकर तुम्हें पौधे से अलग करेंगे सब
कूटकर चूड़ा,चावल, पीसकर आटा बनाएंगे
कितने रूपों में सबके सामने परोसी जायेगी

ओ धान!
 इन सबसे बिना घबराये
हमें तृप्त करने का माद्दा है तुझमें
छठ में लड़ुआ-पूआ ईश्वर पाते हैं
जाड़े में ठिठुरन से बचाती नयका चावल का पीठा
नवजात के पैर सुंदर सुकोमल रहे जीवनभर
पीठा के भांप से सेंककर आश्वस्त होती दादी नानी

ओ धान!
तेरा रंग खुशबू मेरे नस-नस में बसा है
ओ धान पछिया हवा के साथ तेरी खरखराहट
दुनिया के सारे लय ताल से अद्भुत होता
ओ धान बरसों बरस जन्म जन्मांतर तक
यूं ही खनकते सरकते लरजते रहना
मैं आऊंगी मिलने इन्हीं पगडंडियों के सहारे
अनछुए नाद सुनने 

कीट पतंगों से तेरी यारी देखने
और अपने को हरी और सुगंधित करने
ओ धान मैं चाहती हूं तेरे लिए पुराण लिख दूं
तेरे लिए कुरान लिख दूं
तेरे लिए बाइबल लिख दूं

ओ धान!
तू मेरे लिए शब्द बरसाते रहना

ओ धान!
 तुझमें मेरी जां बसती
मुझमें तू दीपक की तरह जलता

ओ धान!
कैसे रूंकू, बहुत कुछ कह देना चाहती हूं तुझसे
बस कोई रोके नहीं कोई टोके नहीं

ओ धान!
 धन्य हुई मैं तुझसे मिलकर..
......
कवयित्री- लता प्रासर
कवयित्री का ईमेल आईडी - kumarilataprasar@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी- editorbiharidhamaka.yahoo.com
श्रीमती लता प्रासर मगही और हिंदी की कवयित्री हैं जिनकी अनेक कविताएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित 
हो चुकी हैं.





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7 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर रचना रची है आदरणीय आप ने धान पर !!सुन्दर 👌

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    1. धन्यवाद. लता जी सचमुच अच्छा लिखती हैं.

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  2. बहुत सुंदर रचना...!! 👌

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    1. धन्यवाद आपको. आपकी प्रशंसा रचनाकार तक पहुँचे.

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  3. अद्भुत काव्य शैली ।मै शेयर किए बिना नहीं रह सका ।

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  4. आपकी प्रशंसा रचनाकार तक पहुँचे.

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