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Friday, 31 January 2020

उम्मीद / कवयित्री - रश्मि सक्सेना

कविता

(मुख्य पेज पर जाइये- bejodindia.blogspot.com / हर 12 घंटों पर जरूर देखें- FB+ Bejod India)



समय की सड़क पर
चलते चलते घिस चुके हैं
उसके पैरों के तलवे
हताशा उसके चेहरे पर
सूख चुके आँसुओं के बीच
कहीं गहरे पैठ कर गयी है

बसंत का एक भी
पीला फूल उसके जीवन में
नहीं खिला 
दुःख पीले ज़र्द पत्तों की भांति
बिना पतझड़ के भी
झरते रहते हृदय के
आँगन में 

नदी में गिरी 
उसकी कुल्हाड़ी मात्र
लोहा भर नहीं थी
उसकी जीवन और मृत्यु के बीच की
एक मात्र कड़ी थी

प्रतीक्षा की देहरी पर
बैठे हुए वर्षों बीत गये उसे
न नदी का पानी घटा 
न ही कोई देवी अथवा देवता
हाथ में कुल्हाड़ी पकड़े
बाहर आया अब तक

आम आदमी की
कुल्हाड़ी गिरने का दुःख
देवताओं को 
समझ नहीं आया कभी
इसके लिए उन्हें मनुष्य होना था.
....

कवयित्री - रश्मि सक्सेना
कवयित्री का ईमेल - saxenarashmi0912@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com

Sunday, 26 January 2020

लहराता है तिरंगा / कवि - लक्ष्मीकांत मुकुल

कविता

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नीले  आकाश में
लहराता है तिरंगा
जैसे थिरकते हैं हवा में गुलमोहर के फूल
बच्चों के चेहरे पर  उमगती हैं लहरें
जब नन्हें हाथों में तिरंगा थामें
प्रभात फेरियां करते हैं गलियों में

तिरंगा उड़ता है पवन के सरसराहट के बीच
उसके रंग छू जाते हैं हमारे दिलों की गहराई को
ढाक- फूलों - सा केसरिया
हमें देता है पथरीली राहों से जूझने का कौशल
सारस की धवल पंख जैसा उजला
देता है जीवन में स्वच्छता के संदेश
हरा रंग भरता है सदाबहार हरीतिमा के गुण
जिसके बीच खुशहाल रहता है हमारा जीवन
चक्र देता है अंधेरे युग में भी कदम बढ़ाने की सीख

बोध जगाता है तिरंगा
सूखी चट्टान पर पौधे उगाने का अधिकार
बादल की तरह झुक झुक कर बरसने का कर्तव्य
वृक्ष लताओं वाले बाग- सा सहमेल

आसमान में उड़ते बादल
पत्तियों पर जमी ओस की बूंदे
नदी- धाराओं से उभरता संगीत
गुपचुप थिरकते हैं लहराते झंडे की धुनों पर
मानो थिरक रही हो करोड़ों जन - गण की धड़कनें
समवेत स्वर में तिरंगा के साथ!
....
कवि - लक्ष्मीकान्त मुकुल
गीतकार का ईमेल - kvimukul12111@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com


Wednesday, 8 January 2020

सब लोग रहें मिल भारत में / कवि - कैलाश झा किंकर

मदिरा सवैया छंद

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(1)
आँगन हास -विलास रहे,
नित नैनन में शुभ प्यार दिखे।
नेह रहे सबका सब पे ,
तब सुन्दर सा घर-द्वार दिखे।।
जीवन जान जहान सभी,
पर साँझ-बिहान बहार दिखे ।
'किंकर' धन्य हुआ अब तो ,
घर सुन्दर- सा परिवार दिखे।

(2)
पास-पड़ोस रहे खुशियाँ,
खुशहाल समाज हँसे दिल से।
लक्ष्य मिले सबको नित ही,
सब तुष्ट दिखे निज मंज़िल से।।
काम करें अपना- अपना,
सब लोग लगें अब काबिल से ।
'किंकर' बाग सुबाग बने,
अब ध्वंश न हो बड़वानिल से।

(3)
देश नहीं परदेश लगे,
सब लोग रहें मिल भारत में ।
रोज खिले सब फूल यहाँ,
गमकें हरसू खिल भारत मेंं।
आपस में लड़ना न सखे,
रखना अपना दिल भारत में।
'किंकर 'याद रहे इतना,
रहते हम शामिल भारत में।।


(4)
झील, पहाड़, नदी, नद से,
यह भारत देश मनोहर है।
पूरब, पश्चिम, दक्षिण में,
नित सागर सैन्य धरोहर है।।
उत्तर में गिरिराज खड़ा,
जिसका यह देश सहोदर है।
'किंकर ' छ: ऋतुएँ जब हैं,
हर ओर खिला गुलमोहर है ।।
.....
कवि - कैलाश झा किंकर
कवि का ईमेल - kailashjhakinkar@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com

Sunday, 5 January 2020

Some pics of Fifth of Jan 2020- ITM Kavyotsava (Navi Mumbai)

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नोट - 1. अभी  पाठकों की सेवा में आईटीएम काव्योत्सव, खारघर की 105वीं गोष्ठी के कुछ चित्र मात्र दिए जा रहे हैं.  कुछ घंटों बाद पूरी रपट अलग चित्रों के साथ बेजोड़ इंडिया ब्लॉग के मुख्य पेज (https://bejodindia.blogspot.com/)  पर प्रकाशित की जाएगी. 
2. कृपया ध्यान रखें कि इस पेज (Photo+ पेज) का लिंक तो फेसबुक अपने वाल पर लेता है पर बेजोड़ इंडिया ब्लॉग के मुख्य पेज का लिंक पिछले 6 महीनों से नहीं ले रहा है. अत: उस पोस्ट के लिंक को व्हाट्सएप्प पर शेयर कर सकते हैं.
नववर्ष की शुभकामनाएँ! - संपादक (ईमेल - editorbejodindia@gmail.com)


































Thursday, 2 January 2020

Some pics with the lyricist on 1.1.2020 clicked during Triveni Kala Manch event at Kurla (Mumbai)

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नोट - 1.  यहाँ कार्यक्रम के बाद के कुछ चित्र दिये जा रहे हैं. शीघ्र ही अन्य चित्र कार्यक्रम की रपट के साथ Bejod India blog के मुख्य पेज ( https://bejodindia.blogspot.com/) पर प्रकशित किये गए हैंं. प्रथम दो चित्रों के नीचे साहित्यकारों  के नाम अंकित हैं.

चित्र में बायें से - सतीश शुक्ला 'रकीब', प्रमिला शर्मा, रेखा किंगर 'रोशनी', अशवनी उम्मीद, हेमा चंदानी,  हस्तीमल 'हस्ती',  संतोष खंडेलवाल,  शोभा स्वपनिल, गुलशन मदान, अवनीश कु. दीक्षित और प्रभा शर्मा 'सागर'
चित्र में बायें से - सतीश शुक्ला 'रकीब',  हेमन्त दास 'हिम', प्रमिला शर्मा, रेखा किंगर 'रोशनी', अशवनी उम्मीद, हेमा चंदानी,  हस्तीमल 'हस्ती',  संतोष खंडेलवाल,  शोभा स्वपनिल, प्रभा शर्मा 'सागर' और अवनीश कु. दीक्षित