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Monday, 26 November 2018

राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध रेखाचित्रकार सिद्धेश्वर



संबंधों की जटिलता, गूढ़ मनोभावों उत्पपीड़नमय परिस्थितियों और नारी संघर्ष की ऐसी सच्ची और प्रभावोत्पादक अभिव्यक्ति बिरले ही देखने को मिलती है। ऐसा लगता है मानो आप खुद पात्र हों भोगी जा रही इन व्यथाओं का चुपचाप सबकुछ सहते जाने को विवश!

 "आगमन उत्सव" कला प्रदर्शनी के लिए तैयार की गई, कवि - कथाकार सिद्धेश्वर की पेंटिंग एवं कविता /लघुकथा पोस्टर नवम्बर 2018 में आईबीए सभागार, पटना में प्रदर्शित हुए। इनके रेखाचित्र 'वागर्थ', 'हंस', 'आजकल' जैसी राष्ट्रीय स्तर की अग्रणी पत्रिकाओं में अक्सर प्रकाशित होती रहती हैं. सिद्धेश्वर के फेसबुक पर, इस प्रदर्शनी में शामिल अन्य कलाकारों की प्रस्तुत की गई पेंटिंग को द्वारा तैयार वीडियो में देखा जा सकता है  / चित्र/ कलाकृति का उपयोग कलाकार से पूर्वअनुमति प्राप्त करके किया जा सकता है साथ ही कलाकार का जिक्र कलाकृति/ चित्र इसका जिक्र भी होना चाहिए .
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कलाकार - सिद्धेश्वर
श्री सिद्धेश्वर का मोबाइल नंबर  -  9234760365
श्री सिद्धेश्वर का फेसबुक लिंक - https://www.facebook.com/sidheshwar.prasad.980
श्री सिद्धेश्वर का ईमेल आईडी- sidheshwarpoet.art@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल- editorbiharidhamaka@yahoo.com
कवि और लघुकथाकार अपनी कविता या लघुकथा पोस्टर बनवाने के लिए   वॉटट्सअप नं0:9234760365 पर संपर्क कर सकते हैं। समय -समय पर आयोजित कविता /लघुकथा पोस्टर प्रदर्शनी में पूर्व अनुमति लेकर इन्हें शामिल किया जाता है।







कवि, कथाकार और कलाकार सिद्धेश्वर / Poet , Writer and Artist - Sidheshwar  
 


ओ धान - लता प्रासर रचित कविता

ओ धान


आओ!
 सूंघ लेते धान की खुशबू
तर कर लेते स्वासों को इनसे
ओ धान, तेरे रूखेपन की चिकनाहट 
शनै: शनै:मुझे तेरे आगोश में बांधती है
तेरा सुनहरा रूप सभी गहनों से छलछल है
उस पर हरी पत्तियों ने मुझे हरा कर दिया
और मैं बाग-बाग हो रही

तुम्हारे छुटपन की हरियाली अबतक जिंदा है मुझमें
तुम्हे कूटे जाने की कल्पना मुझे भी सोंधी कर जाती
उसपर छाली भरी दही का साथ अमृतमय अहसास

ओ धान! 
पगडंडियों पर तुमसे मिलना
स्वर्गिक आनन्द से भर देता मुझे
मैं कैसे समझाऊं खुद को और अपने मन को
लोग-बाग तो पागल ही कहेंगे
कहने दो ना, तेरा सान्निध्य ही प्रेम है मुझमें
ओ धान, तेरे लिए कैसे शब्द गढ़ूं नि:शब्द हूं मैं
तूने संगीत के लिए झिंगुर को पनाह दिया
परागन के लिए तितलियों को
औन न जाने कितने साथी हैं तुम्हारे

मुझे ईर्ष्या होती है इन सबसे सच कहती हूं
तुम्हे काटकर पातन फिर आटी
और पुंज बना मंदिर का रूप दिया जायेगा
तब झन झन झनाक पीटकर तुम्हें पौधे से अलग करेंगे सब
कूटकर चूड़ा,चावल, पीसकर आटा बनाएंगे
कितने रूपों में सबके सामने परोसी जायेगी

ओ धान!
 इन सबसे बिना घबराये
हमें तृप्त करने का माद्दा है तुझमें
छठ में लड़ुआ-पूआ ईश्वर पाते हैं
जाड़े में ठिठुरन से बचाती नयका चावल का पीठा
नवजात के पैर सुंदर सुकोमल रहे जीवनभर
पीठा के भांप से सेंककर आश्वस्त होती दादी नानी

ओ धान!
तेरा रंग खुशबू मेरे नस-नस में बसा है
ओ धान पछिया हवा के साथ तेरी खरखराहट
दुनिया के सारे लय ताल से अद्भुत होता
ओ धान बरसों बरस जन्म जन्मांतर तक
यूं ही खनकते सरकते लरजते रहना
मैं आऊंगी मिलने इन्हीं पगडंडियों के सहारे
अनछुए नाद सुनने 

कीट पतंगों से तेरी यारी देखने
और अपने को हरी और सुगंधित करने
ओ धान मैं चाहती हूं तेरे लिए पुराण लिख दूं
तेरे लिए कुरान लिख दूं
तेरे लिए बाइबल लिख दूं

ओ धान!
तू मेरे लिए शब्द बरसाते रहना

ओ धान!
 तुझमें मेरी जां बसती
मुझमें तू दीपक की तरह जलता

ओ धान!
कैसे रूंकू, बहुत कुछ कह देना चाहती हूं तुझसे
बस कोई रोके नहीं कोई टोके नहीं

ओ धान!
 धन्य हुई मैं तुझसे मिलकर..
......
कवयित्री- लता प्रासर
कवयित्री का ईमेल आईडी - kumarilataprasar@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी- editorbiharidhamaka.yahoo.com
श्रीमती लता प्रासर मगही और हिंदी की कवयित्री हैं जिनकी अनेक कविताएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित 
हो चुकी हैं.





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Friday, 23 November 2018

Bihar Mahotsav being celebrated from 22 to 24 Nov 2018 (Some pics of the event)



Dr. Reeta Das the first and only woman Sarod exponent of Bihar and Sharda Sinha the leading folk singer of the state at  Bihar Mahotsav held in Goa. The event is taking place at Rajiv Gandhi Kala Kendra in Ponda of the state Goa.







बाँके बिहारी - बिहार में ब्यग्य लेखन में एक सुपरिचित नाम


कल संयोगवश मेरी मुलाकात बिहार के एक जाने-माने पुराने लेखक श्री बाँके बिहारी साव से पटना के एक पेट्रोल पम्प पर हुई. प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के आधार पर उनके लेखन के बारे में कुछ जानकारियाँ- 



बीस सालों से भी अधिक समय से 'तापमान' मासिक पत्रिका में व्यंग्य लेखन से अपना डंका बजवानेवाले बाँके बिहारी बिहार में हिंदी लेखन में एक सुपरिचित नाम हैं. ये भाषा भारती संवाद के सहायक स्मपादक भी हैं और 'लहक' पत्रिका के भी सम्पादक मंडली से जुड़े हैं और नियमित लेखक हैं. इन्होंने अनेक नाटक भी लिखे हैं और इनहोंने यह बताया कि इनके नाटक "नहीं श्राद्ध अभी नहीं" का 1100 से अधिक बार "मंचन हो चुका है. इनके चर्चित नाटकों में "हे हे बिहारी" और "खुद पे हँस ले यार" अधिक लोकप्रिय हुए हैं. इनके नाटकों का मंचन प्रयास, जागृति, डाक-तार विभाग, पंजाब नेशनल बैंक आदि ने भी किया है.

मैंने स्वयं इन्हें कई साहित्यिक गोष्ठियों में और नाट्य मंचन के महत्वपूर्ण अतिथियों में पाया है. आज भी कालिदास रंगालय में प्रयास के नाट्य महोत्सव में ये मंचासीन वक्ता थे.

ऐसे प्रतिबद्ध और समर्पित व्यंग्य लेखक और नाटककार को अब तक आकाशवाणी या दूरदर्शन वालों ने अब तक कोई अवसर ही नहीं दिया है यह भी अपने आप में एक इतिहास है ऐसा इनका मानना है. मुझे भी यह जानकर आश्चर्य हुआ. मेरे विचार से जब आकाशवाणी और दूरदर्शन नए लेखकों को अवसर देते रहते हैं तो पुराने चर्चित लेखक की दशकों तक अनदेखी कैसे कर सकते हैं?
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आलेख- हेमन्त दास 'हिम'
श्री बाँके बिहारी का लिंक- https://www.facebook.com/banke.bihari.3979
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आइडी- editorbiharidhamaka@yahoo.com




Wednesday, 21 November 2018

डीडी-बिहार टीवी चैनल के अलग अलग प्रोवाइडर्स कम्पनियों पर नम्बर / DD- Bihar TV channel (:Channel Nos. of different provider companies)

 कृपया डीडी-बिहार (दूरदर्शन बिहार) का अपने टीवी वाला चैनल नम्बर अवश्य नोट कर लें ताकि अपने किसी साथी का कार्यक्रम छूटने न पाये. धन्यवाद.



Thursday, 15 November 2018

अमीर हमजा की दो ग़ज़लें


ग़ज़ल-1


मैं हूँ नादान मुझे नादान रहने दो
सियासत से दूर गिरेबान रहने दो

नहीं चाहता कि दाग दामन में लगे
मैं  हूँ  शायर  यही  नाम  रहने  दो

करता हूँ हिफाज़त अपने वतन की
मैं हूँ गुमनाम  तो  गुमनाम  रहने दो

राह-ए-उल्फ़त से ना भटकाओ मुझे
मुल्क में मोहब्बत की पहचान रहने दो

हिन्दू मुस्लिम ऊंच नीच सबकुछ करो
पर हिंदुस्तान  को  हिंदुस्तान  रहने दो.


ग़ज़ल-2

सारे शिकवे गिले भुला कर तो देखिए
रूठे यार को कभी मना कर तो देखिए

अपने लिए तो हर कोई जीता है यारों
दूसरों पर खुशियाँ लुटा कर तो देखिए

दिल को सुकूँ  यक़ीनन  मिलेगा बहुत
बेबस  को  गले  लगाकर  तो  देखिए

आँसू बहाने  से  भला  हुआ  है  क्या
रोते आँखों को हँसा  कर  तो  देखिए.
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शायर-  अमीर हमज़ा
शायर का ईमेल आइडी - nirnay121@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आइडी- editorbiharidhamaka@yahoo.com







Monday, 5 November 2018