हाल ही में देश के चंपारण आन्दोलन के देश भर में सबसे बड़े जानकार, स्वत्रंत्रता आन्दोलन के समय तक उत्तर भारत में सबसे अधिक प्रचलित रही और जमीन जायदाद के दस्तावेज की अब तक की लिपि कैथी लिपि के संरक्षण के सबसे बड़े स्तम्भ, मिथिला संस्कृति और इतिहास के बड़े विद्वान् और डॉ. नित्यानंद लाल दास के साथ मिलकर भारतीय संविधान का मैथिली में अनुवाद करनेवाले भैरब लाल दास जी से उनके आवास पर मिलने का सुअवसर मिला. इनके कार्यों की उपलब्धियां इतनी अधिक हैं कि उस पर लंबा लेख लिखा जा सकता है. उस पर बाद में कभी बात करेंगे. मेरे अनुमान के अनुसार इनकी उम्र पचास से बहुत कम है परन्तु कार्य इतने सघन हैं कि बड़े बड़े बुजूर्ग भी अचंभित रह जाएँ. अत्यधिक क्रियाशील व्यक्ति हैं. अपने सांस्कृतिक लेखों और क्रियाकलापों के चलते अख़बारों में लगातार प्रमुखता से छापे जाते हैं.
यहाँ सिर्फ एक बात मैं बताना चाहूँगा कि मेधावी छात्र होने के बावजूद गलत विषयों के चुनाव के कारण इनका परीक्षाफल इंटर में बहुत खराब रहा और इन्हें काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी. तभी इन्होने ठान ली कि स्नातक में कुछ कर के दिखाना है. स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों में विश्वविद्यालय में द्वितीय रहे. प्रथम स्थान नहीं पाने का कारण हमारे राज्य में क्या होता रहा है ये आप सभी अच्छी तरह जानते हैं. उस विवाद को मैं यहाँ नहीं उठाना चाहता हूँ.
ये चाहते तो यूपीएससी या बीपीएससी की तैयारी करके शीर्ष अधिकारी बन सकते थे किन्तु पारिवारिक हालात ऐसे थे कि तुरंत नौकरी पकडनी पड़ी अभी बिधान परिषद् में प्रोजेक्ट ऑफिसर के पद पर पदस्थापित हैं . लेकिन बिहार के सभी सुधी लोग इन्हें महान इतिहासकार और संस्कृतिविज्ञ के रूप में जानते हैं.
बिहार से जन्मी भारत की दो अमूल्य ऐतिहासिक निधि - चंपारण आन्दोलन और कैथी लिपि को देश में उचित स्थान दिलाने का सफल प्रयास करनेवाले बिहारी संस्कृति के महान संरक्षक भैरब लाल दास को बिहारी धमाका की ओर से हार्दिक नमन.
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आलेख - हेमन्त दास 'हिम'
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - hemantdas_2001@yahoo.com
यहाँ सिर्फ एक बात मैं बताना चाहूँगा कि मेधावी छात्र होने के बावजूद गलत विषयों के चुनाव के कारण इनका परीक्षाफल इंटर में बहुत खराब रहा और इन्हें काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी. तभी इन्होने ठान ली कि स्नातक में कुछ कर के दिखाना है. स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों में विश्वविद्यालय में द्वितीय रहे. प्रथम स्थान नहीं पाने का कारण हमारे राज्य में क्या होता रहा है ये आप सभी अच्छी तरह जानते हैं. उस विवाद को मैं यहाँ नहीं उठाना चाहता हूँ.
ये चाहते तो यूपीएससी या बीपीएससी की तैयारी करके शीर्ष अधिकारी बन सकते थे किन्तु पारिवारिक हालात ऐसे थे कि तुरंत नौकरी पकडनी पड़ी अभी बिधान परिषद् में प्रोजेक्ट ऑफिसर के पद पर पदस्थापित हैं . लेकिन बिहार के सभी सुधी लोग इन्हें महान इतिहासकार और संस्कृतिविज्ञ के रूप में जानते हैं.
बिहार से जन्मी भारत की दो अमूल्य ऐतिहासिक निधि - चंपारण आन्दोलन और कैथी लिपि को देश में उचित स्थान दिलाने का सफल प्रयास करनेवाले बिहारी संस्कृति के महान संरक्षक भैरब लाल दास को बिहारी धमाका की ओर से हार्दिक नमन.
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आलेख - हेमन्त दास 'हिम'
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