कुछ दिनों पहले कालिदास रंगालय, पटना में साहित्यकार लाला आशुतोष कुमार शरण ने अपने नाटक के मंचन की संभावना के बारे में बिहार आर्ट थिएटर एवं नाटक का प्रशिक्षण देनेवाला बिहार के सबसे प्रसिद्ध संस्थान के अधिकारियों से मुलाकात की. अधिकारियों में मुक्तेश्वर सिंह और अरुण कुमार सिन्हा शामिल थे.
भोजपुरी फिल्मों में शुद्ध भोजपुरी के इस्तेमाल पर बात चली तो नाज़िर हुसैन साहब की भोजपुरी को सबसे शुद्ध माना गया. चर्चा में यह बात भी उठी कि अनेक विद्वान अवधी, ब्रजभाषा आदि को भी भोजपुरी का ही भिन्न रूप मानते हैं.
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.