चली गई वह
किशोरी अमोनकर / मृत्यु - 3 अप्रील, 2017
चली गई वह
केवल उसके बोल अनमोल रह गए
चली गई वह
जैसे पूरा हुआ हो गायकी का एक दौर
चली गई वह
जैसे चले जा रहे हैं कितने प्रिय दुर्लभ राग
चली गई वह
जैसे बहार के बाद चली जाती है ख़ास रौनकें
जैसे ख़ुशी के पराते ही गुम हो जाती है मन की खनक
जैसे अपनी भूमिका खत्म होते ही नेपथ्य में चला जाता है
समझदार अभिनेता
चली गई वह इसी तरह जैसे कि ग़ज़ल से गायब हो जाए
मक़्ते का शेर
चली गई वह
गायकी , सुर , ताल और आलाप का जाल समेटे
महाशून्य में वह फिर से
अनंत तक को कँपाकर थिर कर देगी
जो भी हो, उसके जाने से ऐसा लगता है
कि ठुमरी का कोई बोल टूटकर अधूरा रह गया हो
हमेशा के लिए
अब आवाज़ है , आवाज़ है , आवाज़ की जादूगरी है
अनहद नाद है
महासरस्वती में विलीन महामौन है
क्यों कहूँ कि चली गई वह ?
(वह भी हाड़-मांस की ही बनी थी)
महाकाल की चेरी ने भला किसे छोड़ा है?
यम की पटरानी से छली गई वह..!
...
कवि- भागवत शरण झा 'अनिमेष'
कवि का ईमेल - bhagwatsharanjha@gmail.com
कवि का मोबाइल - 8986911256
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कवि- भागवत शरण झा 'अनिमेष |
कवि अपने परम मित्र राजकुमार भारती और हेमंत दास 'हिम' के साथ. साथ में हैं कर्मचारी विजय कुमार |
कवि अपनी धर्मपत्नी के साथ |
नमन!!
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