कविता
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रंग गई पग-पग धरा
चहुँ ओर जग विस्मृत भरा
ललित, हरित, उज्वलित
कीर्तिमती हुई दिशा।
गूंज उठी, मधुर ध्वनि
कल-कल तरंग, नवल प्रसंग
स्वर्ण स्वरूप, प्रकाशयुक्त
सुशोभिनी वसुंधरा।
रति श्रृंगार धार धारित
निसर्ग यौवन पर खड़ा
प्रतीत प्राण राग-रंग
मदिर प्रेमाराधना।
विहंग वृंद, जन समूह
पलाश पुष्प, हार गूंथ
उदित स्वर्णिम ऋतु वसंत
आलिंगन में परिणीता।
.....
नाम - सुमन यादव
कवयित्री का ईमेल - sumankyadav6@gmail.com
परिचय - कवयित्री मुम्बई में शिक्षिका हैं और एक युवा कवयित्री हैं. पहले भी इनकी कविता इस ब्लॉग में प्रकाशित हो चुकी है.
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
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