...तभी तो सच को सच कहने से मुकर गया
उन्होंने हिंदी व भोजपुरी में कई कवितायें प्रस्तुत की-
तोहरो हमार चर्चा सब के जुबान पर
सांचों ई जिंदगी एगो अखबार हो गइल.
इसके बाद पटना से आये युवा कवि कन्हैया परमहंस ने अपनी रचना सुनाई -
खुद से खुद को नाज करने दो
खुद से खुद को नाज करने दो
एक दो अपने भी नाज रहने दो
इसके उपरांत युवा शायर हुसैन सलीम ने अपनी ग़ज़ल पेश की जो कुछ यूं थी-
लगता है वह भी उस ज़ालिम से डर गया
तभी तो सच को सच कहने से मुकर गया
युवा कवि सुमन वृक्ष ने अपनी कविता का पाठ किया जिसकी पंक्तियाँ थीं -
हमें जिंदगी भी मौत से प्यारी है
हमें जिंदगी भी मौत से प्यारी है
क्योंकि एक दिन मौत सबको आनी है
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