लोगों की ख्वाहिशें बेहिसाब
चाहते हैं बहुत कुछ
मगर भूल जाते हैं
हैं कुछ ही पल इस जिन्दगी में
बनाना हो खूबसूरत तो आज को बनाओ
कल किसने देखा
जो करना है अभी कर जाओ.
वक्त पर न पहरा किसी का
यह तो न है मोहरा किसी का
चलता है यह अपने हिसाब से
हम ही अक्सर भूल जाते हैं
अपने बेहिसाब ख्वाहिशों में
यह तो एक खेल है
खूबसूरत ज़िन्दगी का
ख़ुशी और गम है हिस्सा इसी का
समझने वालों के लिए कट जाती है बड़े शौक से
न समझाने वालों के लिए
अनसुलझी अनजानी सी
उलझ जाती है अक्सर कहानी सी.
.....
कवयित्री - गीतांजलि कुमारी
उम्र - 22 वर्ष
छात्रा - बी. कॉम (तृतीय वर्ष)
व्यावसायिक शिक्षा - सी. एम. ए. (अध्ययनरत)
कलात्मक शिक्षा - कत्थक (प्रशिक्षणरत)
आत्मकथ्य - जीवन और परिस्थितियाँ मुझे कविता लिखने की प्रेरणा देती है.
ईमेल - geetanjaliprasad344@gmail.com
प्रतिक्रिया इस ईमेल पर भी भेजी जा सकती है - hemantdas_2001@yahoo.com

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