Tuesday 24 July 2018

आयाम का वार्षिकोत्सव 23.7.2018 को पटना में सम्पन्न

साहित्यिक चर्चा, कवि-गोष्ठी एवं पुस्तक का लोकार्पण 



बिहार की महिलाओं को जागरूक रखने हेतु एवं उन्हें रचनाकर्म हेतु प्रेरित रखने के उद्देश्य से आयाम संस्था का गठन पद्म्ममश्री उषा किरण खान की अध्यक्षता में तीन साल पूर्व किया गया था. दिनांक 23.7.2018 को पटना के ए.एन. कॉलेज के सभागार में इसके वार्षिकोत्सव का कार्यक्रम हुआ जिसमें महिलाओं के साथ-साथ पुरुष साहित्यकारों की भी भागीदारी रही. तीन सत्रों में चले कार्यक्रम का संचलन जानी-मानी साहित्यकार भावना शेखर और निवेदिता शकील ने किया. प्रसिद्ध कवयित्री डॉ मंगला रानी के कविता संग्रह 'खुशबुओं के चेहरे' का लोकार्पण भी हुआ. उपस्थित प्रख्यात साहित्यकारों में उषा किरण खान, ध्रुव गुप्त, वशिष्ट नारायण त्रिपाठी, राकेश बिहारी, चंद्रकला त्रिपाठी, शांति जैन, मंगला रानी आदि ने भाग लिया. दूरदर्शन की उपनिदेशक रत्ना पुरकायस्थ और पत्रकार प्रभात रंजन दीन भी उपस्थित थे और साहित्यकारों में रानी श्रीवास्तव, चित्रा देसाई, मृदुला प्रधान, अनीता सिंह, रंजू राही और कामिनी और अर्चना त्रिपाठी, ज्योति स्पर्श, सुनीता गुप्ता, सुमन, कविता सिंह नेपाली, माधवी, नीलिमा सिंह, प्रियंका, नताशा, आभा रानी, पूनम आनंद, सीता सिंह, नताशा, प्रियंका की भी मौजूदगी रही. आराधना प्रधान ने प्रकाशित पुस्तकों की चर्चा की और वीणा अमृत ने धन्यवाद ज्ञापण किया.
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रिपोर्ट - बिहारी धमाका ब्यूरो
छायाचित्र- अर्चना त्रिपाठी
ईमेल- editorbiharidhamaka@yahoo.com
नोट- इस रिपोर्ट में जानकारी देने या चित्रों को जोड़ने हेतु कमेंट करें या ऊपर दिये गए ईमेल आईडी पर ईमेल करें. कोई भी जोड़ने या सुधार की प्रक्रिया आयोजक की सहमति मिलने पर ही की जा सकेगी.

चित्र ध्रुव गुप्त के फेसबुक वाल से साभार / https://www.facebook.com/dhruva.n.gupta/posts/1814276658648924






 


Sunday 22 July 2018

केकेएम का द्विदिवसीय सम्मेलन 21-22 जुलाई, 2018 को पटना में सम्पन्न

बत्तीसगाम प्रथा का होगा सरलीकरण




विवाह हेतु पात्रता हेतु वंशावली  एवं पंजी प्रथा के मानकों में अनेक सामाजिक सुधारों के संंकल्प के साथ सामाजिक संस्था केकेएम का अखिल भारतीय द्विदिवसीय सम्मेलन एक्जहिबिशन रोड, पटना के विंडसर होटल में में 21  और 22 जुलाई, 2018 को  सम्पन्न हुआ. दिल्ली, बंगलोर, चेन्नै समेत सम्पूर्ण बिहार और भारत के विभिन्न क्षेत्रों एवं नेपाल के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. मुख्य संयोजक थे बी.के.कर्ण.

ध्यातव्य है कि इस समुदाय के बड़े तबके में दहेज नहीं लेने की पुरानी परम्परा रही है लेकिन  विवाह की मंजूरी के समय माता-पिता के पुरखों को मिलाकर कुल बत्तीस गाँवों का हिसाब देना पड़ता है जो पंजी में लिखे होते है. अधिवेशन में विवाह तय करने के मापदंडों में पंजी प्रथा के सरलीकरण की बात की गई. पीएमजी अर्थात पंजी, मूल और गोत्र तीनों पर विचार करने की प्रकिया को सरलीकृत किया जाएगा. जिन परिवारों के पास आठ पुस्तों तक पैत्रिक और मात्रिक विवरण आसानी से उपलब्ध नहीं है उन्हें जितनी ही जानकारी उपलब्ध हो देना चाहिए और वंशावली की सम्पूर्ण  जानकारियाँ जो फिलहाल कागजों पर लिखी हुई और पंजीकारों के संरक्षण में है उनका डिजिटीकरण किया जाना चाहिए और वह भी अविलम्ब.. इस सम्बंध में बंगलूरू से आये विजय कुमार ने अपनी कारगर योजना का एक पावरप्वाइंट  प्रदर्शन किया जिसकी काफी सराहना हुई. उनकी इस सलाह की काफी सराहना हुई कि विभिन्न शहरों में जमीन या फ्लैट लेकर उसे समुदायिक हित के लिए साझा किया जाय. उनके पहले मिथिला संस्कृति के विशेष जानकार और इतिहासविद‍` भैरब लाल दास ने भी कम्पूटर पर प्रदर्शन किया जिसमें पंजी प्रथा की उत्पत्ति और विवाह सम्बन्धी अर्हताओं पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला. कैथी लिपि और मिथिलाक्षर को लुप्त होने से बचाने और उनका पुनरुत्थान करने हेतु भैरब लाल दास की काफी सराहना हुई.

केकेएम के बिहार प्रदेश के प्रभारी राजेश कंठ ने आये हुए सदस्यों का स्वागत किया. समुदाय को गौरव प्रदान करने हेतु  शेफालिका वर्मा (साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त), भावना कंठ (भारत की प्रथम लड़ाकू पायलट),  हिमानी दत्त (मिथिला की प्रथम पेशेवर पायलट), प्रिया मल्लिक (ओम शान्ति ओम की गायिका) को समुदाय का गौरव बढ़ाने हेतु तारीफ की गई.

अवकाशप्राप्त बैंक अधिकारी चंद्रमोहन दास को कोषाध्यक्ष का प्रभार दिया गया जिसमें उनका साथ सविता दास देंगी.  अन्य विद्वानों ने सामाजिक कठिनाइयों को दूर कर सामुदायिक उत्थान के विभिन्न मुद्दों पर बारीकी से विचार किया. कमजोर वर्ग को आर्थिक सहायता की भी चर्चा हुई और निर्णय लिए गए.

समुदाय में दहेज प्रथा का चलन को नगण्य रखने की भी बात हुई. साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त शेफालिका वर्मा भी इस अवसर पर उपस्थित थीं.  
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आलेख- हेमन्त दास 'हिम'
छायाचित्र- विजय कुमार
नोट- यह रिपोर्ट अधूरी है. इसे पूरा करने हेतु जानकारियाँ ईमेल के द्वारा भेजें- hemantdas_2001@yahoo.com














 
















Saturday 21 July 2018

कसक - प्रकाश रंजन शैल की प्रेम कविता

कसक

प्रकाश रंजन 'शैल' 
विचारों का अंतर्द्वंद्व
 वो मीठी सी कसक
भावों का अतिरेक और
धडकनों का शोर
   
अंतर्मन को छेदती हुई
कजरारी शो़ख आंखें
मंत्रमुग्ध करती हुई
स्निग्ध सी मुस्कान

कानों मे रस घोलती
 पाजेब की रूनझुन
 और नथुनों में समाती
 तन-मन को सिहराती
 वो मादक सी देहगंध
 तुम्हारा निश्छल प्रेम
  
सब बहराना चाहती है
 बनकर एक प्यारी सी कविता
 कोई कालजयी महाकाव्य
जिसके हर अक्षरों सब पन्नों में
 मुस्कुराता हो तुम्हारा चेहरा
 पर डरता हूं लोग कहीं
 उन आड़ी-तिरछी-बेजान लकीरों में
 निहित कोई अर्थ ढूंढेंगे और
 खारिज कर देंगे मेरी 'प्रेम-कविता'
 मेरे असफल प्रेम की तरह।
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कवि- प्रकाश रंजन 'शैल' 
कवि का  सोशल साइट-  यहाँ क्लिक कीजिये
कवि का परिचय- प्रकाश रंजन शैल एक अच्छे कवि हैं और पटना उच्च न्यायालय में कार्यरत हैं.

चित्रकार - रवींद्र दास / रवींद्र दास का लिंक (यहाँँ क्लिक कीजिए)

Thursday 5 July 2018

लोकचिंतन पत्रिका के नये अंक का लोकार्पण पटना में 4.7.2018 को सम्पन्न

लोकार्पण-सह-कवि-गोष्ठी ला लुत्फ उठाया सब ने


दिनांक 4.7.2018  की संध्या साहित्यकार हरेंद्र सिन्हा के जगदेव पथ, पटना स्थित आवास पर लोकचिंतन पत्रिका के नये अंक का लोकार्पण हुआ जिसमें अनेक प्रसिद्ध और अन्य जाने-माने रचनाकारों ने भाग लिया. कोलकाता से पधारे निवास शर्मा, भगवती प्र. द्विवेदी, सतीश प्र. सिन्हा, डॉ. मेहता नागेन्द्र, जीतेन्द्र कुमार, अनिल विभाकर, विभारानी श्रीवास्तव, रागिनी सहाय, गह्वर गोवर्धन, रामाकान्त पाण्डेय, जीतेन्द्र राठौर जिम, मधुरेश नारायण और हरेन्द्र सिन्हा इस आयोजन में उपस्थित थे. कार्यक्रम बहुत ही सफल रहा और काव्य-पाठ से गोष्ठी का समापन हुआ.
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सूचना सौजन्य - हरेन्द्र सिन्हा
सभी कवियों के अलग-अलग वीडियो के लिए Vibha Rani Srivastava फेसबुक टाइमलाइन देखिये - https://www.facebook.com/vrani.shrivastava/videos/1813147195447018/
https://www.facebook.com/vrani.shrivastava?lst=100009393534904%3A100002552666756%3A1530815570
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