Friday 26 April 2019

बिटिया / प्रकाश रंजन 'शैल' की कविता

बिटिया


जीवन की मुस्कान बनेगी
मां का यह अभिमान बनेगी
कली खिली है इक प्यारी सी
बढ़ बगिया की शान बनेगी।

नन्ही सी महमान अभी है
घर-भर की यह जान अभी है
खूब पढेगी खूब बढेगी
पापा की पहचान बनेगी
कदमों मे हो दुनिया इक दिन
बढ़ बगिया की शान बनेगी।

कोयल सी आवाज निराली
दिखती कितनी भोली-भाली
आंखें इसकी इतनी सुन्दर
सपनों की उड़ान बनेगी
परी हमारी पंख सजा कर
बढ़ बगिया की शान बनेगी।

कोमलता से फूल लजाए
हंसे अगर तो गुल खिल जाए
घर की देहरी छोड़े जिस दिन
दुनिया की मुस्कान बनेगी
कली खिली है इक प्यारी सी
बढ़ बगिया की शान बनेगी।
....
कवि- प्रकाश रंजन 'शैल'
कवि का परिचय- कवि उच्च न्यायालय, पटना में सेवारत हैं.
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी  - prakashphc@gmail.com

कवि - प्रकाश रंजन 'शैल'

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