ग़ज़ल-1
मैं हूँ नादान मुझे नादान रहने दो
सियासत से दूर गिरेबान रहने दो
नहीं चाहता कि दाग दामन में लगे
मैं हूँ शायर
यही नाम रहने
दो
करता हूँ हिफाज़त अपने वतन की
मैं हूँ गुमनाम तो गुमनाम
रहने दो
राह-ए-उल्फ़त से ना भटकाओ मुझे
मुल्क में मोहब्बत की पहचान रहने दो
हिन्दू मुस्लिम ऊंच नीच सबकुछ करो
पर हिंदुस्तान को हिंदुस्तान
रहने दो.
ग़ज़ल-2
सारे शिकवे गिले भुला कर तो देखिए
रूठे यार को कभी मना कर तो देखिए
अपने लिए तो हर कोई जीता है यारों
दूसरों पर खुशियाँ लुटा कर तो देखिए
दिल को सुकूँ यक़ीनन मिलेगा बहुत
बेबस को गले
लगाकर तो देखिए
आँसू बहाने से भला
हुआ है क्या
रोते आँखों को हँसा कर तो
देखिए.
....
शायर- अमीर हमज़ा
शायर का ईमेल आइडी - nirnay121@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आइडी- editorbiharidhamaka@yahoo.com
वाहः
ReplyDeleteसुंदर
धन्यवाद आदरणीया.
Deleteachha hai hamja sir
ReplyDeleteBahut hi bariya pa ji
ReplyDeleteBahut hi bariya pa ji
ReplyDeleteWash kya bat hai
ReplyDeleteWash kya bat hai
ReplyDeleteवाहहहहह बेहद खूबसूरत!
ReplyDeleteBahut dhanyawad mahoday.
Deleteवाह बहुत खूब ��
ReplyDeleteDhanyawad.
DeleteBahut achhe
ReplyDeleteBahut achhe
ReplyDeleteसभी पाठकों का हार्दिक आभार व धन्यवाद
ReplyDeleteआपको भी बधाई अमीर जी अच्छी रचना के लिए.
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