Thursday 15 November 2018

अमीर हमजा की दो ग़ज़लें


ग़ज़ल-1


मैं हूँ नादान मुझे नादान रहने दो
सियासत से दूर गिरेबान रहने दो

नहीं चाहता कि दाग दामन में लगे
मैं  हूँ  शायर  यही  नाम  रहने  दो

करता हूँ हिफाज़त अपने वतन की
मैं हूँ गुमनाम  तो  गुमनाम  रहने दो

राह-ए-उल्फ़त से ना भटकाओ मुझे
मुल्क में मोहब्बत की पहचान रहने दो

हिन्दू मुस्लिम ऊंच नीच सबकुछ करो
पर हिंदुस्तान  को  हिंदुस्तान  रहने दो.


ग़ज़ल-2

सारे शिकवे गिले भुला कर तो देखिए
रूठे यार को कभी मना कर तो देखिए

अपने लिए तो हर कोई जीता है यारों
दूसरों पर खुशियाँ लुटा कर तो देखिए

दिल को सुकूँ  यक़ीनन  मिलेगा बहुत
बेबस  को  गले  लगाकर  तो  देखिए

आँसू बहाने  से  भला  हुआ  है  क्या
रोते आँखों को हँसा  कर  तो  देखिए.
....

शायर-  अमीर हमज़ा
शायर का ईमेल आइडी - nirnay121@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आइडी- editorbiharidhamaka@yahoo.com







15 comments:

Note: only a member of this blog may post a comment.