क्योंकि ये रोटी का सवाल है
कविता
कविता
(मुख्य पेज पर जाइये- bejodindia.blogspot.com / हर 12 घंटों पर जरूर देखें- FB+ Watch Bejod India)
होना चाहता हूं स्वतंत्र
पर ग़ुलाम हो गया खुद का मैं
क्या करूँ ये गलती नहीं मेरी
रोटी का सवाल है।
बनना चाहता हूं कलाकार
पर खेल रहा हूं लोहे के औजारों से
क्या करूँ मर्ज़ी नहीं मेरी
ये तो रोटी का सवाल है।
खोद रहा हूँ गड्ढा
पाट रहा हूँ रचनातमकता
उगा रहा हूँ धन के पेड़
काम नहीं है ये मेरा
पर क्या करू रोटी का सवाल है।
सपनो की फटी कथरी पर
जरूरत की खोल चढ़ा रहा हूं
अपनी नैसर्गिकता पर नौकरी की चादर चढ़ा रहा
क्या करूँ नियति नहीं ये
रोटी का सवाल है।
जानता हूं कि कृतियाँ पेट नहीं भर पाती
नही लड़ पाती परिस्थितियों से
हो जाती है नतमस्तक भविष्य की मांगों के आगे
इसलिए कर रहा हूं मजदूरी
क्योंकि ये रोटी का सवाल है।
...
कवयित्री - अंकिता साहू
पता - इलाहाबाद विश्ववि. (उ.प्र.)
पता - इलाहाबाद विश्ववि. (उ.प्र.)
कवयित्री का ईमेल - sahu49206@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com

No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.