Thursday, 14 November 2019

"बीमार दिल्ली" और "सत्ता" / वेद प्रकाश तिवारी की कविताएँ

आज के समय में जब देश के महानगर जानलेवा वायु-प्रदूषण के शिकार हैं और जब लोग बलात्कार जैसी घटनाओं पर बयान देते समय भी राजनीतिक हितों के कारणवश हिचकते हैं, श्री वेद प्रकाश तिवारी दो टूक शब्दों में कही बातों पर. गौर कीजिए-

1. बीमार दिल्ली

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विकास की अंधी दौड़ में 
शामिल हैं वे लोग
जिनकी महत्वाकांक्षा
नहीं करती गुरेज
प्रकृति के दोहन से
जिन्होंने दिया है दिल्ली को 
ऐसा रोग
जिसके कहर से 
बीमार दिल्ली ढूढ़ रही है 
अपना वास्तविक चेहरा
जो ढका हुआ है धुंध से
ये धुंध चेतावनी है संभलने की
यदि करते रहे नजरअंदाज
तो रखना याद
प्रकृति का ये कहर
नहीं बख्शेगा कोई शहर। 


 2. सत्ता

मर्यादा, आदर्श, कानून, संविधान की
परिधि के बीचो-बीच 
कुछ दरिंदों का शिकार 
हो जाती हैं बालाएं 
जो चीख- चीख कर 
तोड़ देती हैं दम
ऐसे में होता है 
समाज आंदोलित
माँगता है न्याय
उसमें कुछ विचारधाराएँ 
नहीं देती उनका साथ
उनका बोलना होता है निर्भर
हवाओं के रुख पर
वे निर्माण करती हैं
ऐसा समाज
जो हो मूल्यविहीन
और उन्हें पहुंचा सके
सत्ता के गलियारों तक
इसलिए वे ऐसे कृत्यों पर 
कर लेते हैं अपनी 
जुबान बंद
भले ही सामाजिक मर्यादा
होती रहे भंग। 
.....

कवि - वेदप्रकाश तिवारी
कवि का ईमेल - vedprakasht13@gmail.com
प्रतिकिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com



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