Saturday 8 February 2020

सैनिकों की संगिनियाँ / कवयित्री - सीमा सिंह

कविता

(मुख्य पेज पर जाइये- bejodindia.blogspot.com / हर 12 घंटों पर जरूर देखें- FB+ Bejod India)



'शहीद' शब्द के आँखों से 
गुज़रने की आहट से ही
पलट देती हूँ अखबार के पन्ने
स्क्रोल कर देती हूँ  फेसबुक की पोस्ट अपडेट
बदल देती हूँ चैनल टीवी की
क्लोज़ कर देती हूँ फ़ाइल
ट्विटर की
लॉग ऑउट होना चाहती हूँ उन तमाम
सुर्खियों-दलीलों-खबरों से

जो भय दिखाती 
आगाह करती हैं,
अभी-अभी ब्याही है
सीमा के पहरेदार से...

सज़दे में शीश नवा
दुवाओं मन्नतों की ताबीज़ से
विश्वास को और मजबूत करके भी
खुद एक सवाल संग
उलझी रहती हूँ..

सरज़मीं के लिए वो भी तो
सर्वस्व न्योछावर करती हैं
ब्याह में सिंदूरदान की रस्म निभा
युद्ध में सिंदूर दान कर देती हैं
रिश्तों की रिक्तता भरती रहती
स्वयं शून्य होती जाती हैं
ये सैनिकों की संगिनियाँ 
  इतना धैर्य कहाँ से पाती हैं!
.....

कवयित्री -सीमा जितेंद्र सिंह
परिचय - पीएच.डी.(हिंदी) शोधार्थी
मुंबई विश्वविद्यालय

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.