कसक
विचारों का अंतर्द्वंद्व 
 वो मीठी सी कसक
भावों का अतिरेक और
धडकनों का शोर
अंतर्मन को छेदती हुई
कजरारी शो़ख आंखें
मंत्रमुग्ध करती हुई
स्निग्ध सी मुस्कान
कानों मे रस घोलती
 पाजेब की रूनझुन
 और नथुनों में समाती
 तन-मन को सिहराती
 वो मादक सी देहगंध
 तुम्हारा निश्छल प्रेम
सब बहराना चाहती है 
 बनकर एक प्यारी सी कविता
 कोई कालजयी महाकाव्य
जिसके हर अक्षरों सब
पन्नों में
 मुस्कुराता हो तुम्हारा
चेहरा
 पर डरता हूं लोग कहीं
 उन आड़ी-तिरछी-बेजान
लकीरों में
 निहित कोई अर्थ ढूंढेंगे
और
 खारिज कर देंगे मेरी 'प्रेम-कविता'
 मेरे असफल प्रेम की तरह।
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कवि- प्रकाश रंजन 'शैल' 
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कवि का परिचय- प्रकाश रंजन शैल एक अच्छे कवि हैं और पटना उच्च न्यायालय में कार्यरत हैं.
कवि का परिचय- प्रकाश रंजन शैल एक अच्छे कवि हैं और पटना उच्च न्यायालय में कार्यरत हैं.
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| चित्रकार - रवींद्र दास / रवींद्र दास का लिंक (यहाँँ क्लिक कीजिए) | 

 
आभार सर।
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