"भाषा सहोदरी हिन्दी"
"भाषा सहोदरी हिन्दी "( दिल्ली) संस्थान का छठा
अंतर्राष्ट्रीय आयोजन ने हिन्दी भाषा के उत्थान के लिए बहुत ही अच्छ
कदम उठाते हुए हम हिन्दी भाषा ,भाषियों को एक सूत्र में बाँधने का महत्व पूर्ण कार्य दिल्ली
में भव्य आयोजन आयोजित किया जो लगातार दो दिनों तक दिनांक 24.10.18 से 25.10.18 तक दिल्ली के हंसराज
कॉलेज में संचालित हुआ।
भारत के हर एक कोने से साहित्कार और
हिन्दी प्रचारक सम्मिलित हुए। यह देख कर
बहुत ही खुशी हो रही थी कि जहाँ हम भारतीय
भी कभी एक भाषा (हिन्दी) के अन्तर्गत जुड़ नहीं पाते थे वहीं आज एक प्रांगण में
उपस्थित हो हिन्दी भाषा का मान बढ़ा रहें थे। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के लोग तथा
विदेशों से भी लोग उपस्थित थे।
ऐसा लग रहा था कि हमसब एक धागे में गूँथे रंग- बिरंगे मोतियों की माला हैं; जो विभिन्न रंगों से बनी प्रतीत हो
रही थी। सभी राज्य और प्रांत क लोग अपनी- अपनी कविता ,कहानी के माध्यम से अपने भावों को हिन्दी
भाषा में पिरोहित
कर सम्मानित भाव से व्यक्त कर रहे थे।
यह कदम हिन्दी के स्वरूप को बढ़ाने का एक सफल और सशक्त माध्यम था जिसका पूरा श्रेय हिन्दी के गुणी ,ज्ञाता व्यक्ति "भाषा
सहोदरी हिन्दी " के मुख्य संयोजक, प्रबंधक श्रीमान " जयकांत मिश्रा" जी को जाता है।
इन्होंने बड़े ही सराहनीय कार्य किया है; जो हम भारतीयों के लिए गर्व की बात
है। बिहार राज्य,पटना से हमलोंगों को भी आने का अवसर सौभाग्य प्राप्त हुआ हमलोंगों ने भी अपनी प्रतिभागिता हिन्दी के क्षेत्र में निभाते हुए बढ़- चढ़ कर हिस्सा लिया इसके
लिये हमलोंगों को भी परितोषित किये गये जिनमें हमसब सहयोगी थे--- श्रीमान श्याम जी सहाय,श्रीमती पुनम आनंद, डाॅ0 मंगला रानी, श्रीमती शालिनी पाण्डेय, डाॅ0 सीमा यादव, श्रीमती अर्चना सिन्हा, प्रो0 डाॅ0 सुधा सिन्हा, श्रीमती सीमा रानी,श्रीमती सिंधु कुमारी, श्रीमती नीतू सिंह, श्रीमती सागरिका राय और विनीता शर्मा। सच में
यह कार्यक्रम बड़ा ही मनमोहक और आकर्षक
था जिसे भूल पाना असंभव है।
ये माँगें उठाई गईं-हिन्दी को अनिवार्य घोषित करना चाहिए। न्यायपालिका की भाषा
हिन्दी होनी चाहिये । हिन्दी में विज्ञान, वाणिज्य, अर्थशास्त्र इत्यादि में शोध को बढ़ावा देना । कार्यालयों की भाषा हिन्दी होनी
चाहिये इत्यादि।
सीधी सी बात है हिन्दी जब तक अनिवार्य घोषित नहीं होगी तब तक अंग्रेजी की
तरफदारी करने वालों का मुंह नही बंद होगा। चीन, फ्रांस सहित कई देश ऐसा कर चुके है हम क्यों नहीं?
उदघाटन पद्मश्री डॉ. सी पी ठाकुर
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवम संसद , मुख्य अतिथि मैत्रीय
पुष्पा जी अध्यक्षता श्री जितेंद्र मणि त्रिपाठी
डी सी पी , प्राचार्या डॉ रमा
हंसराज कॉलेज , मुख्य सयोंजक जय कान्त
मिश्रा ने किया !
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आलेख- पूनम आनंद
छायाचित्र- पूनम आनंद
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