Wednesday 8 January 2020

सब लोग रहें मिल भारत में / कवि - कैलाश झा किंकर

मदिरा सवैया छंद

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(1)
आँगन हास -विलास रहे,
नित नैनन में शुभ प्यार दिखे।
नेह रहे सबका सब पे ,
तब सुन्दर सा घर-द्वार दिखे।।
जीवन जान जहान सभी,
पर साँझ-बिहान बहार दिखे ।
'किंकर' धन्य हुआ अब तो ,
घर सुन्दर- सा परिवार दिखे।

(2)
पास-पड़ोस रहे खुशियाँ,
खुशहाल समाज हँसे दिल से।
लक्ष्य मिले सबको नित ही,
सब तुष्ट दिखे निज मंज़िल से।।
काम करें अपना- अपना,
सब लोग लगें अब काबिल से ।
'किंकर' बाग सुबाग बने,
अब ध्वंश न हो बड़वानिल से।

(3)
देश नहीं परदेश लगे,
सब लोग रहें मिल भारत में ।
रोज खिले सब फूल यहाँ,
गमकें हरसू खिल भारत मेंं।
आपस में लड़ना न सखे,
रखना अपना दिल भारत में।
'किंकर 'याद रहे इतना,
रहते हम शामिल भारत में।।


(4)
झील, पहाड़, नदी, नद से,
यह भारत देश मनोहर है।
पूरब, पश्चिम, दक्षिण में,
नित सागर सैन्य धरोहर है।।
उत्तर में गिरिराज खड़ा,
जिसका यह देश सहोदर है।
'किंकर ' छ: ऋतुएँ जब हैं,
हर ओर खिला गुलमोहर है ।।
.....
कवि - कैलाश झा किंकर
कवि का ईमेल - kailashjhakinkar@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com

3 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना
    साधुवाद

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  2. बहुत सुंदर... बधाई आदरणीय

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