Sunday 26 January 2020

लहराता है तिरंगा / कवि - लक्ष्मीकांत मुकुल

कविता

(मुख्य पेज पर जाइये- bejodindia.blogspot.com / हर 12 घंटों पर जरूर देखें- FB+ Today Bejod India)



नीले  आकाश में
लहराता है तिरंगा
जैसे थिरकते हैं हवा में गुलमोहर के फूल
बच्चों के चेहरे पर  उमगती हैं लहरें
जब नन्हें हाथों में तिरंगा थामें
प्रभात फेरियां करते हैं गलियों में

तिरंगा उड़ता है पवन के सरसराहट के बीच
उसके रंग छू जाते हैं हमारे दिलों की गहराई को
ढाक- फूलों - सा केसरिया
हमें देता है पथरीली राहों से जूझने का कौशल
सारस की धवल पंख जैसा उजला
देता है जीवन में स्वच्छता के संदेश
हरा रंग भरता है सदाबहार हरीतिमा के गुण
जिसके बीच खुशहाल रहता है हमारा जीवन
चक्र देता है अंधेरे युग में भी कदम बढ़ाने की सीख

बोध जगाता है तिरंगा
सूखी चट्टान पर पौधे उगाने का अधिकार
बादल की तरह झुक झुक कर बरसने का कर्तव्य
वृक्ष लताओं वाले बाग- सा सहमेल

आसमान में उड़ते बादल
पत्तियों पर जमी ओस की बूंदे
नदी- धाराओं से उभरता संगीत
गुपचुप थिरकते हैं लहराते झंडे की धुनों पर
मानो थिरक रही हो करोड़ों जन - गण की धड़कनें
समवेत स्वर में तिरंगा के साथ!
....
कवि - लक्ष्मीकान्त मुकुल
गीतकार का ईमेल - kvimukul12111@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com


No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.